A2Z सभी खबर सभी जिले की

*दोहरे हत्याकांड में आरोपी पिता-पुत्र को दोहरा आजीवन कारावास* 

इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक आलोक राय और अपर लोक अभियोजक अशोक सिसोदिया ने पैरवी की

 

✍️✍️✍️✍️✍️अखंड भारत न्यूज़ जियाउद्दीन अंसारी

*शहडोल /बुढ़ार* अपर सत्र न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दोहरे हत्याकांड के आरोपी पिता कमल बरगाही और उसके पुत्र वीरेंद्र बरगाही को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोनों को दोहरी हत्या और सबूत मिटाने के लिए दोषी पाया गया। न्यायालय ने उन पर ₹22,000 का अर्थदंड भी लगाया है।
अपर सत्र न्यायालय बुढ़ार के जिला न्यायाधीश, माननीय सुशील कुमार अग्रवाल की अदालत ने यह फैसला सुनाया। यह मामला, जिसका सत्र प्रकरण क्रमांक 16/2020 था, मध्य प्रदेश शासन बनाम कमल बरगाही के नाम से चल रहा था।

Related Articles

अपर लोक अभियोजक आलोक राय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह घटना 19 अक्टूबर 2019 की है। बुढ़ार थाना को सूचना मिली थी कि प्रेमचंद्र मिश्रा के स्टोन क्रेशर में काम करने वाले दो चौकीदार, स्वर्गीय मटरू बरगाही और समरू, की लाशें क्रेशर के पीछे एक खेत में पड़ी हैं। घटनास्थल पर खून से सनी मिट्टी और एक लोहे की गैंती जब्त की गई थी।
जांच में पता चला कि मृतक मटरू की 6 किता जमीन (रकबा 0.950 हेक्टेयर) को बेचने को लेकर उसका अपने पुत्र कमल से विवाद चल रहा था। पुलिस पूछताछ में आरोपी कमल ने बताया कि वह और उसका पुत्र वीरेंद्र, श्रवण चौधरी को जमीन बेच रहे थे, लेकिन मटरू इसका विरोध कर रहा था। इसी वजह से दोनों पिता-पुत्र ने मिलकर 19 अक्टूबर 2019 की रात लोहे की गैंती से मटरू की हत्या कर दी। जब समरू ने यह देखा, तो आरोपियों ने तलवार से वार करके उसकी भी हत्या कर दी और सबूत मिटा दिए।

पुलिस ने विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया। न्यायालय में गवाहों के बयानों, चिकित्सीय सबूतों और अन्य दस्तावेजों के परीक्षण से यह साबित हुआ कि पिता-पुत्र कमल और वीरेंद्र ने मिलकर मटरू की गैंती से और समरू की तलवार व पेचकस से हत्या की थी। अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने का आरोप सिद्ध करने में सफल रहा।
न्यायालय ने कमल बरगाही और वीरेंद्र बरगाही को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दो बार आजीवन कारावास और ₹10,000-₹10,000 के अर्थदंड से दंडित किया। इसके अतिरिक्त, धारा 201 के तहत सबूत मिटाने के लिए दोनों को 3-3 साल की सजा और ₹1,000-₹1,000 के अर्थदंड से भी दंडित किया गया।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक आलोक राय और अपर लोक अभियोजक अशोक सिसोदिया ने पैरवी की।

Back to top button
error: Content is protected !!